24 जून 2016 को कॉमरेड रामप्यारा सराफ की 7वीं बरसी पर जम्मू में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पढ़ा गया संदेश
दोस्तो और साथियो,
सात साल पूरे हो गए हैं जब कॉमरेड रामप्यारा सराफ हमसे बिछुड़े
थे. सन् 2009 में आज के दिन जब उनका देहांत हुआ था तो नेचर-ह्यूमन सेंट्रिक नजरिया मानने वालों के लिए यह जबरदस्त
आघात था. लेकिन जैसा कि सब जानते हैं, प्रकृति और मनुष्य की अनंत यात्रा कभी रुकती
नहीं. इसलिए नेचर-ह्यूमन सेंट्रिक नजरिया मानने वालों के लिए जरूरी था कि इस आघात
को बरदाश्त करते हुए उस सफर में आगे बढ़ें.
मैं आज के इस प्रोग्राम में आपके साथ शामिल नहीं हो पाया, इसके लिए माफी चाहता
हूं. पर हकीकत मैं मुझे इसकी जानकारी नहीं
थी. पता चलते ही मैंने सोचा कि जल्दबाजी में यहां पहुंच तो नहीं पाऊंगा, पर आपको
एक संदेश भेजकर आपसे विचार तो साझा कर ही सकता हूं.
बहरहाल, कॉमरेड सराफ अपनी 25-26 साल की
उम्र से ही जब से सियासी-नजरियाती रूप से सचेत हुए, उनका लक्ष्य गरीबों और मजलूमों
को जुल्म से निजात दिलाकर मनुष्य जाति के लिए एक मुनसिफाना निजाम कायम
करना रहा. और वे अंतिम दम तक इस काम में लगे रहे. हां, आखिरी 10-15 साल में
उन्होंने अपनी रिसर्च, स्टडी और एक्सपीरियंस यानी शोध, अध्ययन और अनुभव से यह समझ
लिया था कि आज के जमाने में ऐसा निजाम तभी
कायम हो पाएगा जब मनुष्य जाति का वजूद बच पाएगा. इसीलिए उन्होंने नेचर-ह्यूमन
सेंट्रिक पीपुल्स मूवमेंट की स्थापना की.
कॉमरेड सराफ का मानना था कि आज दुनिया में चल रहे कार्पोरेट सरमायेदारी निजाम
की फितरत पूरी मनुष्य जाति और प्रकृति के
खिलाफ है और वह पर्यावरण तथा समूचे जैव जगत के विरुद्ध जाकर महज सरमाये को मैनेज
करने में लगा है. इस निजाम के दोनों मॉडलों को, कार्पोरेट जगत की अगुआई वाले सरमायेदारी
मॉडल और सरकार की सरपरस्ती वाले "समाजवादी" मॉडल को, वे सरमायेदारी निजाम के मुफादात
को ही पूरा करने वाला मानते थे. सरमायेदारी निजाम के इन दोनों मॉडलों को उन्होंने आज
की दुनिया में कारगर न मानते हुए ऐसा निजाम बनाने का नजरिया पेश किया जो सरमाये के
मैनेजमैंट की जगह प्रकृति और मनुष्य जाति
के मैनेजमैंट को तरजीह देता हो.
कॉमरेड सराफ का नेचर-ह्यूमन सेंट्रिक नजरिया मनुष्य के हितों के साथ ही प्रकृति को बचाने की भी तर्जुमानी करता है. वह रियलिटी को समझने के लिए
साइंटिफिक-लॉजिकल एप्रोच यानी वैज्ञानिक-तार्किक सोच अपनाने की बात करता है. यह नजरिया लंबी रिसर्च और मास कैंपेन के
दौरान पैदा हुआ और उसी से डेवलेप हुआ.
आगे भी इसकी डेवलेपमेंट तभी जारी रह सकती
है जब इसके मानने वाले रिसर्च और मास कैंपेन के जरिए प्रकृति और मनुष्य के बारे
में हमेशा नए फैक्ट्स यानी तथ्यों की खोज में लगे रहें. नए फैक्ट्स की बुनियाद पर ही हम
प्रकृति और मनुष्य से जुड़े पुराने और नए प्रोसेसेज को स्टडी कर सकते हैं और
उन्हें समझ सकते हैं.
कॉमरेड सराफ की साइंटिफिक-लॉजिकल एप्रोच ने हमें यह भी सिखाया है कि दुनिया में कोई चीज अपने
आप में पूर्ण नहीं होती.
कोई नजरिया चाहे बड़े से बड़े ज़हीन व्यक्ति
की देन हो, लेकिन पैदाइश तो उसकी किन्हीं
खास हालात और किसी खास दौर में ही होती है.
और हालात में तब्दीलियां चूंकि लगातार होती
रहती हैं, इसलिए उस नजरिये में भी धीरे-धीरे तब्दीलियां आती रहती हैं, जिससे उसे डेवलेप करने की जरूरत पड़ती है.
वैसे, कोई
गलतफहमी न हो, इसके लिए मैं यहां एक बात जोड़ना चाहूंगा. वह यह कि कॉमरेड
सराफ ने अपनी रिसर्च, स्टडी और एक्सपीरियंस की बुनियाद पर प्रकृति और मनुष्य समाज को
लेकर जो नतीजे निकाले हैं, उनमें अभी तक कोई क्वालिटेटिव फर्क नहीं दिखा है. हां,
क्वांटिटी के हिसाब से उसमें बदलाव जरूर आ रहे हैं, जिन्हें स्टडी करना और दर्ज
करना बहुत जरूरी है.
एक बात और याद रखने की है. वह यह कि अपने सार्वजनिक जीवन के हर दौर में कॉमरेड
सराफ ने अपने नजरिए के प्रसार के लिए किसी सियासी-नजरियाती अखबार या पत्रिका का प्रकाशन
जारी रखा. यह प्रकाशन ही उनके साथियों का रैलिंग पॉइंट
रहा है. इस सिलसिले में जम्मू संदेश अखबार या व्यूपॉइंट नामक विभिन्न पत्रिकाओं का खासा योगदान रहा है.
लेकिन आज एक बात का मुझे अफसोस है. वह यह कि इस समय जब कॉमरेड सराफ हमारे बीच में नहीं हैं, उनके
प्रस्तुत किए नेचर-ह्यूमन सेंट्रिक नजरिये में एक ठहराव-सा दिख रहा है. इसके अंतर्गत न तो कोई रिसर्च हो
रही है और न ही कोई बड़ी मास कैंपेन है.
प्रसार के लिए अत्याधुनिक सोशल मीडिया की
तो छोडि़ए, कोई रेगुलर छोटा-मोटा अखबार या पत्रिका चलाने का प्रबंध भी अभी तक नहीं
हो पाया है. यही नहीं, प्रकृति हितैषी और मनुष्य
हितैषी सभी ताकतों को एक मंच पर लाने के काम में भी कोई प्रगति नहीं दिख रही.
अंत में, कॉमरेड सराफ को श्रद्धांजलि देने के लिए आज यहां इकट्ठा हुए दोस्तों और
साथियों से मेरा निवेदन है कि वे इन सभी बातों पर गौर करें. एक, प्रकृति और मनुष्य
से जुड़े प्रोसेसेज की रियलिटी को समझने के लिए एक रिसर्च सेंटर स्थापित करने पर
सोच-विचार करें ताकि अपने नजरिये को आगे डेवलेप करके नए मुकाम पर ले जा सकें. दूसरा, नेचर-ह्यूमन सेंट्रिक नजरिये
को मानने वालों के रैलिंग पॉइंट के तौर पर कोई सियासी-नजरियाती
अखबार या पत्रिका निकालने की योजना बनाएं. और तीसरे, प्रकृति हितैषी तथा मनुष्य हितैषी सभी ताकतों को एकजुट करने की दिशा में एक
टाइम-बाउंड कार्यक्रम बनाकर उस पर अमल करने की सोचें. कॉमरेड सराफ की सातवीं बरसी पर
उन्हें यही हमारी सच्ची
श्रद्धांजलि होगी.
ओम सराफ
24 जून 2016
