1 नवंबर 2017 से दिल्ली के जंतर मंतर पर किसानों के सत्याग्रह का आह्वान
किसानों, अब जागो, उठो और लक्ष्य प्राप्ति
तक मत रुको
1 नवंबर 2017 से दिल्ली में जंतर मंतर पर सत्याग्रह शुरू
किसान, भाईयों और बहनों,
किसान
और किसानी गंभीर संकट
मे है. 70 वर्ष की आजादी में कॉर्पारेट नीत विकास मॉडल, कृषि
विरोधी सरकारी नीतियां, कृषि को दोयम
दर्जे की हैसियत और वैश्वीकरण, उदारीकरण की आर्थिक व्यवस्था ने किसान की रीढ़ तोड़ दी और कृषि को पूरी तरह निचोड़कर मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया. आज 60-70 प्रतिशत आबादी को पालने वाली कृषि अर्थव्यवस्था में महज 11 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखी है, 56 प्रतिशि किसान भारी कर्जे से दब चुके हैं. 80 प्रतिशत से अधिक किसान कुपोषित, भूखे और कंगाल हैं तथा किसान परिवारों में 174 आत्महत्याएं रोज हो
रही हैं. किसान के हल बैल बिक गये, खलियान सूख गये, ताल तलैय्या बिला गये, जमीनें बिक गयी, आपसी भाईचारा, असर-रसूख, मान मर्यादा विकास की भेंट चढ़ गये और गांव उजड गये, किसान पामाल और कंगाल हो गये और 20 करोड़ किसान विस्थापित होकर शहरों की झुग्गी बस्तियों, सड़कों के किनारों, गंदगी से बजबजा रहे मौहल्लों में मानव गरिमा विहीन जिंदगी गुजारने को मजबूर हो गये.
किसान को कृषि उत्पादन में ना फसलों के दाम दिये जाते हैं और ना ही मेहनत का मूल्य. मेहनत के मूल्य का शोषण, खेती लागत उत्पादों की महंगी खरीद और फसलों के सस्ती बिक्री में उसकी लूट की जा रही है. प्राकृतिक खेती की पारंपरिक पद्धतियों में सुधार करने के बजाय रासायनिक खेती को बढ़ावा देकर लूटने की व्यवस्था बनाई गई है. जल, जंगल, जमीन, खनिज से जनता के अधिकार छीनकर सारा लाभ देशी-विेदेशी कंपनियां लूट रही हैं. पहले ग्रामीण उद्योगों के क्षेत्र में हथकरघा, कुटीर,
लघु उद्योगों की स्वदेशी व्यवस्था समाप्त की गई. ग्रामीण जनता का रोजगार छीनकर, बहुराष्ट्रीय कंम्पनियों को लाकर ग्रामीण व्यवस्था को समाप्त करने का काम किया गया. अब किसानों से खेती की जमीन और रोजगार के सभी साधन छीने जा रहे हैं. इस लूट ने किसानों को कर्ज की दूसरी लूटेरी व्यवस्था में ढकेल दिया है. हर साल कर्ज निकालकर खेती
करने को मजबूर बनाकर बची हुई आय ब्याज के माध्यम से लूट ली जाती है. बैंक के सामने उनके नाम चस्पां कर दिये जाते हैं. किसानों से जबरन कर्ज वसूली की जाती है. फसल बीमा और दूसरी योजनाओं में भी किसानों को लूटकर कम्पनियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. इस लूट की व्यवस्था का ही पररणाम है कि देश में केवल एक प्रतिशत धनपतियों के पास देश की आधी से ज्यादा संपत्ति इकठ्ठी हुई है.
यह स्थिति हम किसानों का भाग्य नही है बल्कि जन विरोधी नीतियों का परिणाम है. दुनिया के बैंकर्स, देशी विेदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के दबाव में सरकारों द्वारा अपनाई गई किसान विरोधी नीतियों का परिणाम है. आज सरकार जो नीतियां अपना रही है वह और भी
खतरनाक हैं. सरकारें किसानों को खेती से बाहर करने और कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिये काम कर रही हैं. आधुनिक खेती कर सकेंगे ऐसे केवल 20 प्रतिशत कॉर्पोरेट किसानों को खेती सौंपना चाहती है. देश में कॉन्ट्रैक्ट खेती व कॉर्पोरेट खेती का आरंभ हो चुका है. औद्योगिक क्षेत्र, कॉरिडोर,
शहरों आदि के लिए किसानों से करोड़ों हेक्टेयर खेती छीनकर गैर खेती कार्य के लिए दे रही है. इससे किसानों के सामने भविष्य का बड़ा संकट पैदा हो गया है.
देश के
किसान इस संकट का एकजुट होकर मुकाबला करेंगे तो आज भी परिस्थितियां बदल सकती हैं. उसके लिये जाति, धर्म, पार्टी से उपर उठकर एकजुट होकर संघर्ष करना होगा. देश के किसान संगठनों को एकजुट करने और किसान समस्याओं को एक सूत्र में बांधकर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिये महाराष्ट्र के सेवाग्राम में 8-10
मार्च को राष्ट्रीय
किसान समन्वय समिति की स्थापना हुई, जिसमें 21 राज्यों के 100 से अधिक संगठन शामिल हैं. राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति ने दीर्घ संवाद के बाद 26 सूत्रीय प्रस्ताव सरकार को भेजा है जिसके लागू होने से किसान के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव होगा. किसान को सम्मानपूर्वक जीवन प्राप्त होगा. लेकिन सरकार ने अभी तक कोई प्रतिसाद नहीं दिया है. इसलिये 1
नवम्बर 2017 (बुधवार) से दिल्ली में जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन आंदोलन “संपूर्ण किसान क्रांति” की शुरुआत होगी. उसके लिये एक नवंबर को अधिक से अधिक संख्या में 9 बजे तक पहुंचना होगा. यह सत्याग्रह तब तक चलेगा जब तक सरकार इस पर अनुकूल निर्णय नहीं
करती. इसलिये लंबी तैयारी के साथ आना होगा. साथ में गांव, जिलों में सभायें की जायेंगी. यह केवल किसानों का ही आंदोलन नही बल्कि उस हर संवेदनशील व्यक्ति का भी आंदोलन है जो किसानों के लिये बनी लूट की व्यवस्था अन्यायपूर्ण मानते हैं और उसे बदलना चाहते हैं. वह सभी इसमें आमंत्रित हैं.
किसानों के लिये आर्थिक, सामाजिक आजादी का दूसरा स्वतंत्रता
संग्राम
“संपूर्ण किसान क्रांति”
कर्ज के जाल से स्थायी मुक्ति और न्यायपूर्ण आय सुनिश्चित करने के लिये 26 सूत्री प्रस्ताव लागू करें.
1 नवम्बर 2017 से अनिश्चितकालीन
सत्याग्रह जंतर मंतर, नई दिल्ली.
1 नवम्बर से 10 नवम्बर धरना सत्याग्रह
11 नवंबर से अनिश्चितकालीन उपवास सत्याग्रह
21 नवंबर को देशव्यापी आंदोलन
गांव,
जिलों तथा
दिल्ली में किसान मोर्चा
22 नवंबर से किसानों को लूटने वाली कॉर्पोरेट कंपनियों का घेराव
किसान भाईयों और बहनों,
आईये,
संपूर्ण किसान
क्रांति के लिये संघर्ष
करें.
किसान के मौलिक अधिकार प्राप्त करने के लिये,
किसान की कॉर्पोरेटी लूट से मुक्ति के लिये,
गुलामी की व्यवस्था को समाप्त करने के लिये,
किसानों के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक न्याय के लिये,
किसान और खेती किसानी के संकट के समग्र और स्थाई समाधान के लिये
“संपूर्ण किसान क्रांति”
आवाहक
राष्ट्रीय किसान समन्वय सममति
ई मेल : kisansamanvay.india@gmail.com








