Tuesday, July 18, 2023

दुनिया के 236 वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों की खुली चिट्ठी

चित्र साभार: https://english.madhyamam.com/

"हम बेहद आर्थिक नाबराबरी के दौर से गुजर रहे हैं. 25 साल में पहली बार हद से ज्यादा गरीबी और बेअंदाज दौलत, दोनों ही तेजी से और एक साथ बढ़ी हैं. दुनिया में नाबराबरी 2019 और 2020 के बीच जिस कदर तेजी से बढ़ी, उतनी दूसरे विश्व युद्ध के बाद कभी नहीं बढ़ी थी. 

"दुनिया की आबादी में सबसे अमीर 10 फीसदी व्यक्ति आज दुनिया में हो रही आमदनी का 52 फीसदी हिस्सा पा रहे हैं, जबकि सबसे गरीब आधी आबादी इसका 8.5 फीसदी ही कमा पाती है. अरबों लोगों को भोजन की ऊंची और बढ़ती कीमतों के साथ-साथ भूख जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि अरबपतियों की संख्या पिछले दस साल में दोगुनी हो गई है."

यह शब्द किसी राजनैतिक पार्टी के घोषणापत्र या बयान से नहीं लिए गए हैं, बल्कि उस खुली चिट्ठी के अंश हैं जो 67 देशों के 236 वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा के नाम भेजी है. इस चिट्ठी को नोबल पुरस्कार विजेता एवं कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ और यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट में प्रोफेसर जयती घोष ने लिखा है और इसमें अनुरोध किया गया है कि दोनों महानुभाव दुनिया भर में व्याप्त "बेहद नाबराबरी" को कम करने की दिशा में काम करें. 

अर्थशास्त्रियों के इस समूह ने कहा है कि बेहद नाबराबरी हमारे सामाजिक और पर्यावरण संबंधी सभी लक्ष्यों को खोखला करेगी. यह हमारी राजनीति को खा जाएगी, हमारे भरोसे को तोड़ देगी, हमारी सामूहिक आर्थिक समृद्धि में बाधा डालेगी और बहुपक्षीय संबंधों को कमजोर करेगी. उन्होंने चेतावनी दी है कि दुनिया में अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई से अगर नहीं निबटा गया तो गरीबी अधिक बढ़ेगी और जलवायु संकट का खतरा अधिक बढ़ जाएगा.

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