Tuesday, July 11, 2023

चेतना क्या है?



हम जिसे चेतना कहते हैं, वह दरअसल क्या है? गूढ़ भाषा में तो पता नहीं, पर मेरा मानना है कि यह किसी जीव या प्राणी का वह स्वभाव या उसके मन की वह ताकत है जिससे उसे अपने अंदर की अनुभूतियों, भावों, विचारों वगैरह का और बाहर की घटनाओं या बातों का अनुभव या एहसास होता है. मनुष्य के संदर्भ में, जब कोई व्यक्ति किसी चीज या प्रक्रिया के बारे में जो समझ, जानकारी या अवधारणा रखता है, बनाता है या बना चुका होता है, उसे चेतना कहते हैं. ज्यादा सटीक कहें तो चेतना अपनी और अपने इर्द-गिर्द की स्थितियों या वातावरण के प्रति जागरूक होना और उसके अनुसार क्रिया करना है. 

पर यह चेतना आती कहां से है? क्या वह जन्मजात होती है? या इर्द-गिर्द की स्थितियों से आती है? कुछ गुण तो हर चीज, जीव या प्राणी में कमोबेश जन्मजात हैं. जैसे मनुष्य में देखने, सुनने, सूंघने, चखने/खाने और महसूस करने का गुण लाखों साल की उस प्रक्रिया का फल है, जिसके दौरान वह साधारण जीव, रीढ़धारी और बिना रीढ़ पशु, स्तनधारी, नर-बानर वगैरह की अवस्था से होकर गुजरा. लगभग 2-3 लाख साल पहले जब आज जैसा मुनष्य (होमो-सेपियन) वजूद में आया तो ये गुण उसमें आ चुके थे. ये अब मनुष्य में लगभग जन्मजात पाए जाते हैं और उसकी पांच ज्ञानेंद्रियों के रूप में विकसित हो चुके हैं.

लेकिन ज्यादातर चेतना हर चीज, जीव या प्राणी अपने इर्द-गिर्द की स्थितियों या वातावरण से हासिल करते हैं. इसीलिए जब तक मनुष्य ने आग का आविष्कार नहीं कर लिया था, वह किसी प्रकार का पका हुआ खाना खा ही नहीं सकता था. पका हुआ खाना खाने की चेतना उसमें आग का आविष्कार कर लेने के बाद ही पैदा हुई. 

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