Thursday, July 20, 2023

अत्यधिक गरम जलवायु की तरफ बढ़ती दुनिया



दुनिया अत्यधिक गरम जलवायु की तरफ बढ़ रही है. इतनी गरम कि 10 लाख साल पहले जब इंसान पैदा भी नहीं हुआ था, तब से लेकर आज तक इस तरह की जलवायु देखी नहीं गई है. आने वाले समय में यह स्थिति इससे भी बदतर होने जा रही है. ऐसा क्यों होगा? 

"वजह यह है कि हम मूर्ख हैं और हमने जलवायु संकट को लेकर दी गई चेतावनियों की कोई परवाह ही नहीं की." यह कहना है अमेरिकी वैज्ञानिक जेम्स हेन्सन का, जिन्होंने ग्रीनहाउस प्रभाव को लेकर दुनिया को 1980 वाले दशक में ही सचेत कर दिया था. 1988 में उन्होंने अमेरिकी सीनेट के सम्मुख प्रस्तुत होकर दुनिया के गरम होते जाने का प्रामाणिक ब्यौरा दिया था. उस समय वे नासा में जलवायु वैज्ञानिक थे. 

इन दिनों वे ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता पैदा करने के आंदोलन में कार्यकर्ता बन गए हैं और कई बार गिरफ्तार भी हो चुके हैं. उन्होंने अब दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर चेतावनी दी है कि दुनिया "जलवायु की नई चुनौतियों" की ओर अग्रसर है, जिसमें तापमान लाखों साल पहले हुए तापमान से भी बहुत ज्यादा होगा और बड़े-बड़े तूफ़ान आएंगे, जबरदस्त लू चलेगी और भयंकर सूखा पड़ेगा. 

हेन्सन का कहना है कि बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के बाद से, जब मनुष्य ने हवा में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने वाले कोयला, तेल और गैस सरीखे जीवाश्म ईंधन जलाने शुरू किए थे, दुनिया में तापमान कोई 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. इससे गरमी के मौसम में वैसा ही अत्यधिक तापमान दिखने की, जैसा उत्तरी गोलार्ध के कई हिस्सों में अभी देखा जा रहा है, 20 प्रतिशत संभावना हो गई है, जबकि 50 साल पहले इसकी 1 प्रतिशत संभावना थी. 

अभी 16 जुलाई को ही अमेरिका में कैलिफोर्निया की डेथ वैली में तापमान 53.9 और चीन के शिंजियांग में 52.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था. 17 जुलाई को दक्षिणी स्पेन में वह 46 डिग्री सेल्सियस पर जा पहुंचा था और इटली के सार्डिनिया में भी उसके वहां तक चले जाने की भविष्यवाणी की गई थी. पूर्वी यूरोप में भी गरमी शिखर पर पहुंचने की संभावना जताई गई है. 

यूरोप, अमेरिका और चीन के कुछ हिस्सों में बेहद गरमी पड़ने की वजह से दुनिया भर के जलवायु विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और संगठनों में चिंताएं व्यक्त की जाने लगी हैं. विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव प्रोफेसर पेटेरी तालास का कहना था, "बेहद गरमी इंसान के स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र, अर्थव्यवस्था, कृषि, बिजली-पानी की आपूर्ति पर जबरदस्त प्रभाव डाल रही है." उन्होंने यथासंभव तेजी से ग्रीनहाउस गैस में कटौती करने पर जोर दिया. 

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