Monday, July 31, 2023

मांस के उत्पादन का भविष्य टिकाऊ नहीं


दुनिया में मांस का उत्पादन भविष्य में टिकाऊ नहीं रह पाएगा. वजह यह है कि आबादी बढ़ने के साथ जितना मांस का उत्पादन बढ़ता है, उतनी ही वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन समेत ग्रीनहॉउस गैसों की कुल मात्रा में वृद्धि हो जाती है, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग के साथ-साथ जलवायु संकट में इजाफा होता जाता है.

मांस का उत्पादन दुनिया भर में हर साल बढ़ता ही जा रहा है. बड़ी विश्व समस्याओं को लेकर शोध और आंकड़े प्रस्तुत करने वाली वेबसाइट https://ourworldindata.org का अनुमान है कि आज दुनिया में मांस की खपत 1961 की खपत से चार गुना से भी ज्यादा हो गई है. 1961 में दुनिया में मात्र 7.057 करोड़ टन मांस का उत्पादन हुआ करता था. 2020 तक आते-आते यह बढ़कर 33.718 करोड़ टन हो गया.
विश्व की सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों से संबंधित आंकड़े सामने लाने वाली वेबसाइट https://www.theworldcounts.com के अनुसार, 1988 से लेकर 2018 तक के 30 साल की अवधि में ही मांस की खपत दोगुनी हो गई है और इसके जल्दी कम होने के कोई आसार नहीं हैं. उसका अनुमान है कि 2050 तक दुनिया में मांस की खपत 46 करोड़ टन और 57 करोड़ टन के बीच होगी. 1961 के मुकाबले यह वृद्धि करीब 8 गुना हो जाएगी.

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