Thursday, October 6, 2016

बुजुर्गों के प्रति नकारात्मक रवैये में चिंताजनक वृद्धि




इस बार 1 अक्तूबर को मनाए गए अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस पर एक अशुभ संदेश नमूदार हुआ. वह यह कि दुनिया में बुजुर्गों के प्रति नकारात्मक रवैये में चिंताजनक वृद्धि हो रही है? खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इसकी चेतावनी दी. उसका ताजा विश्लेषण बता रहा है कि व्यापक होता जा रहा ऐसा रवैया बुजुर्गों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डाल रहा है. http://www.who.int/mediacentre/news/releases/2016/discrimination-ageing-youth/en/

इस संगठन ने बुजुर्गों की स्थिति को जानने के लिए दुनिया में ‘‘वर्ल्ड वैल्यूज़ सर्वे’’ नाम का एक सर्वेक्षण करवाया था. इसमें 57 देशों के 83,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया. इनमें 60 फीसदी प्रतिभागियों का कहना था कि बुजुर्गों को वह सम्मान नहीं दिया जाता, जिसके वे हकदार हैं. आश्यर्चजनक तो यह है कि बुजुर्गों के प्रति सबसे कम सम्मान अधिक आमदनी वाले यानी अमीर देशों में पाया गया.
कुछ लोग कहेंगे, दुनिया में बुजुर्गों के प्रति नकारात्मक रवैये में पता नहीं किस वजह से वृद्धि हो रही है? लेकिन वजह साफ है. दरअसल, मौजूदा समाज ऐडम स्मिथ के जिस आर्थिक मॉडल पर आधारित है, वह तो मनुष्य को स्वभाव से ही स्वार्थी मानता है और इसमें कायम व्यवस्था का उद्देश्य भी अधिकतम लाभ कमाना अथवा अधिकतम वृद्धि दर हासिल करना है. इसमें सामाजिक संपन्नता और प्रगति नापने का एकमात्र पैमाना वृद्धि दर है.

मतलब यह कि इस कार्पोरेट पूंजीवादी व्यवस्था में धन और सत्ता प्राप्त करना अधिकतम स्वार्थसिद्धि का प्रतीक है, इसलिए सारी दुनिया ही जीवन का विस्तार करने वाली इन दो ‘‘अमृतसुधाअों’’ के पीछे भाग रही है. ऐसे में उन्हें बुजुर्गों का ध्यान रखने की फुर्सत ही नहीं है.

माना जाता है कि बुजुर्गों के प्रति नकारात्मक रवैये से उनमें यह भावना घर कर जाती है कि वे समाज पर बोझ हैं. इसके चलते वे अपनी जिंदगी को कम मूल्यवान मानने लगते हैं जिससे उनमें अवसाद का जन्म होता है और वे समाज से अलग-थलग पड़ने लगते हैं. ताजा प्रकाशित शोध से पता चलता है कि जिन बुजुर्गों में अपनी उम्र के प्रति नकारात्मक रवैया पैदा हो जाता है, वे अपंगता से उबर नहीं पाते और सकारात्मक रवैया रखने वाले बुजुर्गों के मुकाबले औसतन साढ़े सात साल तक कम जीते हैं.

आकलन है कि 2025 तक 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले लोगों की आबादी दोगुनी हो जाएगी और 2050 तक यह आबादी दो अरब तक पहुंच जाएगी. इनमें ज्यादातर बुजुर्ग अल्प और मध्यम आय वाले देशों में होंगे.

क्रेडिट: पहला चित्र: www.meetmindful.com
दूसरा चित्र: www.thehindu.com

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