ग्लोबल हंगर इंडेक्स के बोलते तथ्य
बोलते तथ्य
दुनिया में भूख संबंधी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स
यानी जीएचआइ) के हिसाब से भारत की स्थिति अभी भी बहुत गई गुजरी है, हालांकि पिछले
20 साल के मुकाबले इसमें सुधार है. आज 119 विकसित देशों में भारत का स्थान 97वें
से खिसककर 100वां हो गया. हालत यह है कि वह उत्तरी कोरिया और इराक के भी पीछे खड़ा
है. दोनों देश क्रमश: 93वें और 78वें स्थान पर हैं. वर्ष 2012-2016 तक के यह
आंकड़े वाशिंगटन स्थिति इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इस्टीट्यूट ने आज की तारीख
में ही जारी किए हैं.
दिलचस्प बात यह है कि भारत अपने सभी पड़ोसियों से भी पीछे
है. हमारे 100वें स्थान के मुकाबले नेपाल 72वें, म्यांमार 77वें, श्रीलंका 84वें, बांग्लादेश
88वें और चीन 29वें स्थान पर है.
जीएचआइ किसी देश के चार सूचकांकों से मिलकर बनता है.
वे हैं: उस देश में कम पोषण पाने वालों का आबादी में अनुपात, बच्चों की मृत्यु दर,
बच्चों की उम्र के हिसाब से कम ऊंचाई और इसी तरह कम वजन. किसी देश का जीएचआइ 10
से कम हो तो माना जाता है कि वहां भूख की समस्या ‘‘कम’’ है और अगर वह आंकड़ा 50
पार कर जाए तो भूख के मामले में उस देश की स्थिति ‘‘बेहद खतरनाक’’ मानी जाती है.
इस हिसाब से देखें तो भारत का जीएचआइ आंकड़ा 31.4 है.
यानी इस मामले में वह ‘‘बेहद खतरनाक’’ तो नहीं, ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में शामिल है. खाद्यान्न
में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद भारत की 1% आबादी उसकी 50% धन-दौलत की मालिक है, जिसकी वजह से एक बड़ी आबादी
पोषण के मामले में बहुत पीछे रह जाती है. यानी दुनिया में कम पोषित होने के मामले
में हमारे यहां दूसरे क्रम पर सबसे ज्यादा आबादी है. देश में 38.4% बच्चों की अपनी उम्र के हिसाब से कम ऊंचाई और 21% बच्चों का अपनी ऊंचाई के हिसाब से कम वजन है.
जाहिर है, देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) भले ही
बढ़ जाए, लेकिन वह भोजन और पोषण की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं देता.
फोटो क्रेडिट: http://www.probleminindia.com


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