Monday, June 12, 2017

आजकल गांधी जी को लेकर बहुत उठापटक चल रही है. राजनीति का स्तर इस हद तक गिर गया है कि किसी एक पार्टी के नेता ने गांधी जी की शख्सियत के बारे में कुछ लचर बात कह दी तो बवाल मच गया. दूसरी पार्टियों के नेता चाहे गांधी के कहे पर चलें या नहीं, लेकिन राजनीति में उन्हें ईंट का जवाब पत्थर से देना है, इसलिए वे भी उसी घटिया भाषा शैली में तू-तू-मैं-मैं के स्तर पर उतर आए. बहरहाल, केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष को अब तो जिम्मेदारी वाली भाषा सीख लेनी चाहिए. आखिर सत्ता में उन्हें आए तीन साल हो गए हैं.


इसमें कोई दो राय नहीं कि गांधी जी महान थे. और उनकी महानता का राज़ यह है कि वे बेहिसाब निजी गुणों से लैस थे. महान लोगों में कुछ बातें बहुत स्पष्ट होती हैं. एक तो यह ‍कि अपने ध्येय के प्रति उनकी जबर्दस्त निष्ठा होती है. दूसरी यह कि साध्य को वे साधनों से जोड़ने में पक्का यकीन रखते हैं. तीसरी यह कि उनमें त्याग की भावना इस कदर होती है जो दूसरों के लिए मिसाल बन सकती है. गांधी जी इन तीनों कसौटियों पर खरे उतरते हैं.


राजनैतिक सत्ता तक उनकी सीधी पहुंच और देश-विदेश में उन्हें हासिल भरपूर प्रतिष्ठा के बावजूद गांधी जी ने कभी उन्हें अपने निजी हित के लिए इस्तेमाल नहीं किया. पद की तो उन्होंने कभी कोई लालसा नहीं रखी. गलतियों को वे खुले मन से स्वीकारते थे. नम्रता उनमें कूट-कूटकर भरी थी. वे खुद को कष्ट देने के साथ बलिदान के लिए भी तत्पर रहते थे. इस तरह इंसान के रूप में उनमें अनेक गुण थे. ये तथ्य सभी जानते हैं और इन पर चर्चा होती रहती है.


लेकिन गांधी जी को लेकर मूल मुद्दा दरअसल बहुत ही कम चर्चा में आया है. उस पर उनके जिंदा रहते ही चर्चा होनी चाहिए थी. पर बाद में भी राष्ट्रपिता के नाम की आड़ में उसे दबाया नहीं जाना चाहिए.


और इस मामले में सबसे पहला सवाल यह है कि गांधी ने जो काम किया उसका अंतिम परिणाम उनके मकसद से बहुत जुदा क्यों निकला? मसलन उनका इरादा था कि हिंदू-मुसलमान एकता की बुनियाद पर संयुक्त भारत को आजाद कराएंगे, लेकिन सांप्रदायिक बंटवारे में भारत के दो टुकड़े हो गए.


दूसरे, राष्ट्रीय आंदोलन को लेकर गांधी जी की रणनीति 1947 से पहले के भारत की ठोस हकीकत से मेल क्यों नहीं खा सकी?


और तीसरे, यह 1947 के बाद के भारत की हकीकत से भी कटी क्यों चली आ रही है? इन सवालों का जवाब तभी मिल सकता है जब हम गांधीवाद के समूचे सिद्धांत और व्यवहार की आलोचनात्मक समीक्षा करें.


इसके लिए विश्व को लेकर गांधी जी के नजरिये, उनकी कार्यप्रणाली, समाज को लेकर उनके सिद्धांत और तद्नुसार उनके व्यवहार का अध्‍ययन करना बहुत जरूरी है.


समाज को लेकर उनके सिद्धांत के अंतर्गत यह समझना जरूरी है कि स्वदेशी, सर्वोदय तथा अंत्योदय, स्वराज, लोकतंत्र, नारी गौरव, विकेंद्रित अर्थव्यवस्था, ग्राम स्वराज, मशीनों के इस्तेमाल, संपत्ति के ट्रस्टीशिप सिद्धांत, सीमित इच्छाअों, शिक्षा, श्रमिक गौरव, आर्थिक समानता, खादी को बढ़ावा, निर्माणकारी कार्यक्रम, वगैरह के बारे में गांधी जी क्या ठीक सोचते थे या गलत.


उन्होंने जो किया उसको लेकर यह समझने की जरूरत है कि वे इतिहास के कौन-से कालखंड में रह रहे और काम कर रहे थे, हिदू-मुसलमानों के बीच खाई दूर करने के लिए उन्होंने क्या किया, वर्णाश्रम को लेकर उन्होंने क्या रुख अपनाया, छुआछूत के सवाल पर वे कहां खड़े थे, सत्याग्रह ने क्या भूमिका अदा की वगैरह-वगैरह.


यह बहुत लंबा विषय है. लेकिन हकीकत के धरातल पर जब हम देखें तो अपने सामने यही पाते हैं कि गांधी जी भले ही कितने महान थे, लेकिन जो मकसद लेकर वे चले थे, वह कामयाब नहीं हो पाया. अलबत्ता, गांधी जी के अनुभवों के आधार पर बहुत-से सबक सीखे जा सकते हैं, जो आज भी हमें काम दे सकते हैं.


पहला सबक तो यही है कि आज की दुनिया में पुनर्गठन किसी एक धर्म या मजहब के संस्कारों, भाषा-मुहावरों और प्रतीकों की बुनियाद पर नहीं किया जा सकता. धर्मतंत्र के सभी दृष्टांत दुनिया में बहुत नुक्सानदेह साबित हुए हैं. गांधी जी ने हिंदू हितों का जो पक्ष लिया, उससे भारत के हितों का नुक्सान ही हुआ है.


दूसरे, हृदय परिवर्तन को लेकर गांधीवादी दृष्टिकोण — सत्याग्रह या अहिंसा के जरिए बुरे को अच्छे में बदलने का सिद्धांत — हालात पर निर्भर करता है. जब तक बुरे को पैदा करने वाले और अच्छे के रास्ते में रुकावट बनने वाले हालात को बदला नहीं जाता, न तो अच्छा आगे बढ़ पाता है और न ही बुरा खत्म हो सकता है.


तीसरे, त्याग, बलिदान, विनम्रता, सादगी, सहनशीलता वगैरह और सबसे बढ़कर साध्य और साधनों के तालमेल के गांधीवादी सिद्धांतों का अगर दृढ़ता से पालन किया जाए तो ये न्यायसंगत समाज के निर्माण में बहुत फायदेमंद हो सकते हैं.


यही नहीं, सर्वोदय, विकेंद्रीकरण और स्वराज की गांधी जी की अवधारणाओं में आवश्यक बदलाव किये जाएं तो उन्हें जनता को सत्ता के हस्तांतरण में इस्तेमाल किया जा सकता है.


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