पिछले 30 साल में दुनिया की बड़ी झीलों में से आधी सिकुड़ीं
शोधकर्त्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि दुनिया की बड़ी झीलों और जलाशयों में से आधी से ज्यादा पिछले 30 साल में सिकुड़ गई हैं. इसका मुख्य कारण मानवीय खपत तो है ही, ग्लोबल वार्मिंग भी है. इससे खेती, पनबिजली और मानवीय खपत के लिए पानी की आपूर्ति को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
इस अध्ययन के अनुसार, यूरोप और एशिया के बीच स्थित कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण अमेरिका में स्थित टिटीकाका झील तक दुनिया में ताजा पानी के अधिकांश महत्वपूर्ण स्रोतों में से कुछ में गत तीन दशक से हर साल कोई 22 गीगाटन (यानी 22 अरब टन) की संचयी दर से पानी घटता चला आ रहा है. इस तरह इन स्रोतों में इतना पानी घट गया है, जो 2015 के समूचे वर्ष में अमेरिका में इस्तेमाल हुआ था.
"साइंस" नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए इस अध्ययन का नेतृत्व कर रहे, वर्जीनिया विश्वविद्यालय में धरातल जलविज्ञानी फांगफेंग याओ का कहना है कि प्राकृतिक झीलों के पानी में 56 फीसदी कमी ग्लोबल वार्मिंग और मानवीय खपत की वजह से हुई और इसमें भी जलवायु संकट की भूमिका "अधिक रही है." जलवायु विज्ञानी अमूमन मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया के बंजर इलाके ज्यादा बंजर और आर्द्र इलाके ज्यादा नमी वाले होते जाएंगे. लेकिन इस अध्ययन ने पाया कि आर्द्र इलाकों में भी पानी में खासी कमी हुई है.

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