मेरा ख्याल है, यह कहना एकतरफा सचाई है कि धर्मों के बीच केवल भिन्नता है, समानता नहीं है. सभी प्रकार के धर्म के दो पहलू हैं. उनके बीच एक तरफ कई मामलों में समानता है और दूसरी तरफ कुछ मामलों में गंभीर, तो कुछ मामलों में मामूली मतभेद भी हैं.
सभी धर्मों का मानना है कि मनुष्य नियति के अधीन है, वह अमूमन अपनी पूरी क्षमताओं का उपयोग नहीं करता और बुराई / पाप की ओर प्रवृत्त रहता है. हर धर्म आध्यात्मिक वास्तविकता से मनुष्य को रू-ब-रू कराने और इस तरह उसका जीवन बेहतर बनाने का दावा करता है. इस सिलसिले में वे लगभग समान धार्मिक शिक्षाएं प्रचारित करते हैं. जैसे लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे सच बोलें, चोरी न करें, किसी को न मारें, विश्व में शांति स्थापना के लिए काम करें और दूसरों के प्रति सहनशील हों. यह बात दीगर है कि उनके कुछ अनुयायी इन पर अमल करते हैं और कुछ नहीं करते.
लेकिन यह भी सचाई है कि सभी धर्मों का विश्व दृष्टिकोण एक जैसा नहीं है. इस सिलसिले में हम दुनिया के सबसे बड़े चार धर्मों का उदाहरण ले सकते हैं, जिनमें तीन की तो क्रमश: गॉड, परमात्मा, अल्लाह में जबकि चौथे की भी किसी अलौकिक शक्ति में आस्था है:
ईसाईयत का मानना है कि हम पापी ही पैदा हुए है, गॉड के पुत्र ईसा मसीह को हमारे पापों के कारण ही मरना पड़ा था और यदि हम गॉड पर आस्था रखें तो हम स्वर्ग में जाएंगे.
इस्लाम बताता है कि हम बेगुनाह पैदा हुए हैं और अगर अल्लाह का फरमान मानने की पूरी कोशिश करें तो बहिश्त में जा सकते हैं. उसका यह भी कहना है कि ईसा मसीह खुदा का बेटा नहीं है और उसे हमारे गुनाहों की वजह से नहीं मरना पड़ा था.
हिंदुमत का कहना है कि बैकुंठ में जाने का प्रयास समय नष्ट करने जैसा ही है. यदि हम कुछ समय बैकुंठ में काट भी लेते हैं तो अंतत: धरती पर पुनर्जन्म लेना ही पड़ेगा क्योंकि हम पुनर्जन्म के अंतहीन दिखते चक्र में फंसे हुए हैं. इसका एकमात्र उपाय मोक्ष प्राप्ति है, अर्थात् आत्मा का परमात्मा में विलीन होना.
बौद्धमत पुनर्जन्म को लेकर हिंदुओं से सहमत होने के बावजूद ईश्वर में आस्था नहीं रखता. इसका कहना है कि निर्वाण प्राप्ति तक अर्थात् जब तक व्यक्ति अपने कार्य के परिणामों से मुक्त नहीं हो जाता और स्वयं को उनसे अलग नहीं कर लेता, पुनर्जन्म का सिलसिला जारी रहेगा. इसके बाद ही वह परमानंद की अवस्था को प्राप्त होता है.
जाहिर है, धर्मों के बीच भिन्नता है तो समानता भी है.
जाहिर है, धर्मों के बीच भिन्नता है तो समानता भी है.

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