- मोदी सरकार की विकास की अवधारणा यही है कि किसानों से भूमि का जबरदस्ती अधिग्रहण कर कार्पोरेट पूंजीपतियों को दो, यहां वे अपने नए कारखाने लगाने के साथ-साथ नए शहर भी बसाएं और किसानों की कीमत पर अपने मुनाफे का विस्तार कर सकें. वरना सरकार ने अपने नए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में यह प्रावधान क्यों हटा दिया है कि अगर गांव के 70 प्रतिशत लोग अपनी जमीन नहीं देना चाहते तो सरकार उसका अधिग्रहण नहीं कर सकती. साथ ही, नए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में यह प्रावधान भी नहीं रखा गया है कि सिंचित जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता. यही नहीं, इसमें यह भी कहा गया है कि यदि किसी किसान को लगता है उसके साथ बेइंसाफी हुई है तो उसे अदालत का दरवाजा खटखटाने से पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी. यह सरासर किसान विरोधी अध्यादेश है और इसका इस हद तक विरोध किया जाना चाहिए कि संसद में इससे संबंधित विधेयक पारित होकर कानूनी रूप न ले सके.


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