Sunday, October 26, 2014

देश विभाजन को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से एक विवाद उठा है. हालांकि इतिहास से संबंधित ऐसे विवाद उठाना कोई गुनाह नहीं है, लेकिन विचारों में मतभेद के चलते किसी की हत्या की वकालत करना हत्यारे का साथ देने का बराबर ही है.

अपने मलयाली मुखपत्र 'केसरी' के 17 अक्तूबर में छपे एक लेख से इस विवाद की शुरुआत करने के बाद संघ ने जब देखा कि हत्या की खुलेआम वकालत से उस पर विपरीत असर पड़ेगा तो उसने लेख की निंदा करने में भी कोई देर नहीं की.

हालिया लोकसभा चुनाव में केरल के चलकुडी संसदीय क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार बी. गोपालकृष्णन ने इस लेख में कहा है कि नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी की हत्या करने के बजाय जवाहरलाल नेहरू को अपना निशाना बनाना चाहिए था क्योंकि देश विभाजन के लिए असली जिम्मेदार वे ही थे. गोपालकृष्णन के इस कथन से पूरा इत्तेफ़ाक़ तो नहीं किया जा सकता, लेकिन इतना पक्का है कि देश विभाजन की मुख्य जिम्मेदार कांग्रेस ही थी.

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