Thursday, August 28, 2014

महात्मा गांधी जैसी महान शख्सियत को नमन 

गांधी की महानता का राज उनके अपने अंदर मौजूद बेहिसाब गुणों में निहित था. वे न सिर्फ अपने उद्देश्य के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित थे बल्कि साध्य और साधनों के तालमेल में उनका अटूट विश्वास था. और उनके अंदर त्याग की भावना तो अनुकरणीय थी ही. जो राजनैतिक सत्ता और भरपूर प्रतिष्ठा उन्हें हासिल थी, उसे उन्होंने कभी अपने निजी हित के लिए इस्तेमाल नहीं किया. उनमें कभी किसी पद की लालसा नहीं थी. गलतियों को वे खुले मन से स्वीकार करते थे. नम्रता उनमें कूट-कूटकर भरी थी. वे खुद को कष्ट देने के साथ बलिदान के लिए भी तत्पर रहते थे. इस तरह इंसान के रूप में उनमें अनेक गुण थे.

लेकिन हृदय परिवर्तन को लेकर गाँधीवादी दृष्टिकोण--सत्याग्रह या अहिंसा के जरिए बुरे को अच्छे में बदलने का सिद्धांत--परिस्थितियों पर निर्भर करता है. जब तक बुरे को पैदा करने वाली और अच्छे के रास्ते में रुकावट बनाने वाली परिस्थितियों को बदला नहीं जाता, न तो अच्छा आगे बढ़ पाता है और न ही बुरा खत्म हो सकता है. वैसे, त्याग, बलिदान, विनम्रता, सादगी, सहनशीलता वगैरह और सबसे बढ़कर साध्य और साधनों के तालमेल के गांधीवादी सिद्धांत न्यायसंगत समाज के निर्माण में बहुत फायदेमंद हो सकते हैं. यही नहीं, सर्वोदय, विकेंद्रीकरण और स्वराज की उसकी अवधारणाओं में आवश्यक बदलाव किये जाएं तो उन्हें जनता को सत्ता के हस्तांतरण में इस्तेमाल किया जा सकता है.


30 जनवरी 2014 

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