ज्यादा लोगों के मानने से कोई चीज या बात सही नहीं हो जाती.
ऐसे सोलहवीं सदी में गैलेलियो और कॉपरनिक्स अगर चर्च की, जिसकी पूरी क्रिश्चियन दुनिया में तूती बोलती थी, बात ही मानते रहते तो यह सिद्धांत प्रतिपादित नहीं कर सकते थे कि जमीन सूर्य कि इर्दगिर्द घूमती है. आज इसी सिद्धांत को सारी दुनिया स्वीकार करती है. इसलिए बहुमत का जनादेश सही भी हो, ज़रूरी नहीं है.
18 मई 2014
ऐसे सोलहवीं सदी में गैलेलियो और कॉपरनिक्स अगर चर्च की, जिसकी पूरी क्रिश्चियन दुनिया में तूती बोलती थी, बात ही मानते रहते तो यह सिद्धांत प्रतिपादित नहीं कर सकते थे कि जमीन सूर्य कि इर्दगिर्द घूमती है. आज इसी सिद्धांत को सारी दुनिया स्वीकार करती है. इसलिए बहुमत का जनादेश सही भी हो, ज़रूरी नहीं है.
18 मई 2014

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