Thursday, August 28, 2014

बच्चियों से राखी बंधवाकर आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं? 

नेता लोग बच्चियों से राखी बंधवाकर आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं? यही कि वे जनता में किस कदर मक़बूल हैं. आज अखबारों में नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह के अलावा कई नेताओं के ऐसे चित्र छपे हैं जिनमें वे किसी बच्ची से राखी बंधवाकर प्रफुल्लित मुद्रा में दिख रहे हैं और उनकी कलाइयों पर राखियों का ढेर जमा हो गया है. लेकिन इसमें नई बात क्या है? अखबार भी ऐसे चित्र क्यों छापते हैं? पता नहीं?

इन नेताओं से बेहतर मिसाल तो आम लोग पेश करते हैं. कई जगहों पर आम लोग राखी को लेकर कई साल से अद्भुत मिसालें पेश करते आ रहे हैं. इससे पर्यावरण के अलावा लोगों को अपनी जीविका के साधन सुरक्षित रखने में भी प्रेरणा मिलती है. हमें प्राणवायु देने वाले पेड़-पौधे आज जब हमसे रक्षा की गुहार लगा रहे हैं तो रक्षासूत्र बांधकर उनकी रक्षा का प्रण लेना अनुकरणीय है.

अभी कल ही रक्षा बंधन के दिन उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में रक्षाबंधन अनोखे अंदाज़ में मनाया गया. यहां इंसानों ने प्रकृति के साथ रिश्ता मजबूत करने के लिए पेड़-पौधों को अटूट बंधन बांधे और ज़िंदगी भर पेड़ों की रक्षा की कसमें खाईं. राज्य के उद्यान विभाग, वन विभाग और सामाजिक संगठनों के साझा तय कार्यक्रम के अनुसार, अलीगढ जिले के सभी ब्लाकों के गांव-गांव में 20 हज़ार पेड़-पौधे रोपने के लिए पहुंचाए गए थे. गांवों में लोगों ने पौधे लगाते समय उनकी सिंचाई और देखरेख करने का संकल्प लिया.

छत्तीसगढ़ के भिलाई में एक स्कूल के बच्चों ने अपने संस्थान की 45 साल से चली आ रही परंपरा के अंतर्गत स्कूल परिसर में मौजूद पेड़-पौधों को राखी बांधी. पौधों को रक्षासूत्र बांधने के बाद बच्चों के मन में यह भावना आती है कि पौधे उनके दोस्त और भाई-बहन के समान हैं. वे राखी बांधने के बाद उनकी और ज्यादा देखभाल करने लगते हैं, जैसे उन्हें पानी देना, फूल-पत्ते न तोड़ना आदि और उनका ख्याल भी रखते हैं. भिलाई में सेक्टर-4 के सरस्वती शिशु मंदिर नामक इस स्कूल की स्थापना 1969 में हुई थी और पौधों को रक्षासूत्र बांधने का सिलसिला तब से चला आ रहा है.

मध्य प्रदेश में महान वन क्षेत्र के ग्रामीणों ने जंगल में महुआ पेड़ को राखी बांधकर अपने जंगल के साथ रिश्ते को नया आयाम दिया. दिल्ली, बंगलुरू, मुंबई सहित 10 शहरों से भेजी गई करीब 9,000 राखियों को महुआ पेड़ में बांधकर ग्रामीणों ने महान वन क्षेत्र में प्रस्तावित कोयला खदान से अपने जंगल को बचाने का संकल्प लिया. महान का प्राचीन जंगल करीब एक हजार हेक्टेयर में फैला है, जिसमें लगभग 50 हजार से अधिक गांव वालों की जीविका निर्भर है. इस जंगल पर महान कोल लि. (एस्सार व हिंडाल्को का संयुक्त उपक्रम) के प्रस्तावित कोयला खदान से इन गांववालों की जीविका खतरे में पड़ गई है. करीब दो दर्जन गांवों के एक हजार से अधिक ग्रामीणों ने पेड़ को राखी बांधी, इनमें भारी संख्या में महिलाएं भी थीं.

राजस्थान में भी राजसमंद के नजदीक निर्मल ग्राम पंचायत ने पिपलांत्री में पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में बरसों से चल रही अनूठी पहल के तहत रविवार को रक्षाबंधन पर्व पर गांव की बेटियों की ओर से पेड़ों को रक्षासूत्र बांधकर सामाजिक उत्तरदायित्व की विशिष्ट परंपरा का निर्वहन किया. समूचे पंचायत क्षेत्र से पहुंची सैकड़ों बालिकाएं पेड़ों को राखी बांधते समय इस तरह उत्साहित दिख रही थीं, मानो वे अपने सगे भाई को राखी बांध रही हों. बालिकाओं ने इन पेड़ों की सार-संभाल और सुरक्षा करने का संकल्प भी लिया.


11 अगस्त 2014 



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