Tuesday, October 28, 2014

पेरिस की अपनी यात्रा में हम कई ऐतिहासिक और पर्यटक स्थलों पर गए. फ्रांस का संसद भवन 'असेंबली नेशनल' उनमें से एक है. शहर के बीचोबीच बहती नदी सेइन के किनारे बनी यह इमारत उम्दा आर्किटेक्ट का बेहतरीन नमूना है और इसके चारों ओर पुरानी महत्वपूर्ण शख्सियतों की प्रतिमाएं लगी हैं.

सेइन नदी में पेरिस आने वाले सैलानियों के लिए नौकायन की भी अच्छी व्यवस्था है. शहर में इस नदी पर कोई 40 पुल हैं, जिनके आर-पार पेरिस की जिंदगी गुलज़ार बनी रहती है.

कॉनकॉर्ड पुल से यह नदी पार करके सीधे बमुश्किल आधा किलोमीटर दूर प्लेस द ला कॉनकॉर्ड पहुंचा जा सकता है. करीब 21 एकड़ में बना यह राजधानी का सबसे बड़ा चौराहा है, जहां 18वीं सदी के मध्य में फ़्रांस के सम्राट लुई 15 की मूर्ति स्थापित की गई थी. फ़्रांसिसी क्रांति के दौरान यह मूर्ति उखाड़ फेंकी गई और सम्राट लुई 15 को दूसरे अहलकारों समेत नई क्रांतिकारी सरकार ने यहां स्थापित गिलोटिन पर फांसी चढ़ा दिया था.

प्लेस द ला कॉनकॉर्ड के मशहूर फव्वारे के निकट पहुंचकर हमने एक युवा जोड़े से हमारा दोनों का चित्र खींचने का अनुरोध किया, जिसके बदले में हमने भी उस जोड़े का फोटो उनके कैमरे से खींच दिया. श्रीमती जी ने भी मेरा एक चित्र लिया, जिसकी पृष्ठभूमि में 75 फुट ऊंचा और 250 मीट्रिक टन वजनी वह ऐतिहासिक स्मारक-स्तंभ है, जिसे 1833 में मिस्र के ऑटोमन वायसराय ने फ़्रांस के सम्राट लुई फिलिप को भेंट किया था. स्मारक के दूसरी ओर भी वैसा ही एक फव्वारा है.

यहां से हमारा सफर कोई 2.5 किलोमीटर दूर स्थित ऑर्क द ट्रिम्फ की ओर पैदल ही शुरू हुआ. हम पेरिस की मशहूर सड़क द शैंप एलिसिस के पूर्वी छोर पर थे, जहां से शहर का यह अति प्रसिद्ध भव्य स्मारक दिखता है. ऑर्क द ट्रिम्फ पश्चिमी छोर पर स्थित प्लेस द चार्ल्स द गॉल के मध्य में खड़ा है. वहां पहुंचकर श्रीमती जी पीछे मुड़ीं और उस लंबी-चौड़ी सड़क को देख इस कदर विस्मयाभिभूत थीं कि मैंने ऑर्क द ट्रिम्फ को पृष्भूमि में रखकर उनका चित्र खींच लिया.








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