Monday, October 30, 2017

1 नवंबर 2017 से दिल्ली के जंतर मंतर पर किसानों के सत्याग्रह का आह्वान

संपूर्ण किसान क्रांति
किसानों, अब जागो, उठो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको
1 नवंबर 2017 से दिल्ली में जंर मंर पर सत्याग्रह शुरू

किसान, भाईयों और बहनों,
किसान और किसानी गंभीर संट मे है. 70 वर्ष की आजादी में कॉर्पारेट नी विकास मॉडल, कृषि विरोधी सरकारी नीतियां, कृषि को दोयम दर्जे की हैसियत और वैश्वीकरण, दारीरण कीर्थिक व्यवस्था ने किसान की रीढ़ तोड़ दी और कृषि को पूरी तरह निचोड़र मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया. आज 60-70 प्रतिश आबादी को पालने वाली कृषि र्थव्यवस्था में महज 11 प्रतिश की हिस्सेदारी रखी है, 56 प्रतिशि किसान भारी कर्जे से दब चुके हैं. 80 प्रतिश से अधिक किसान कुपोषित, भूखे और कंगाल हैं था किसान परिवारों में 174 आत्महत्याएं रोज हो रही हैं. किसान के हल बैल बिक गये, लियान सूख गये, तालैय्या बिला गये, जमीनें बिक गयी, आपसी भाईचारा, असर-रस, मान मर्यादा विकाकी भेंट चढ़ गये और गांव उजड गये, किसान पामाल और कंगाल हो गये और 20रोड़ किसान विस्थापि होर शहरों की झुग्गी बस्तियों, ड़कों के किनारों, गंगी से बजबजा रहे मौहल्लों में मानव गरिमा ‍विहीन जिंदगी गुजारने कोबूर हो गये.

किसान को कृषि उत्पान में ना फसलों के दाम दिये जाते हैं और ना ही मेहन का मूल्य. मेहन के मूल्य का शोषण, खेती लाग उत्पादों की महंगी खरी और फसलों के सस्ती बिक्री में उसकी लू की जा रही है. प्राकृतिखेती की पारंपरि पद्धतियों में सुधार रने के बजाय रासानि खेती को बढ़ावा देकर लूने की व्यवस्था बनाई गई है. जल, जंगल, जमीन, निज से जनता केधिकार छीनर सारा लाभ देशी-विेदेशी कंनियां लूट रही हैं. पहले ग्रामीण उद्योगों के क्षेत्र में हथरघा, कुटीर, लघु उद्योगों की स्वदेशी व्यवस्था समाप्त की गई. ग्रामीण जनता का रोजगार छीन, बहुराष्ट्रीय कंम्पनियों को लार ग्रामीण व्यवस्था को समाप्रने का काम किया गया. अब किसानों से खेती की जमीन और रोजगार के सभी साधन छीने जा रहे हैं. इस लू ने किसानों को कर्ज की दूसरी लूटेरी व्यवस्था में ढकेल दिया है. हर साल कर्ज निकालकर खेती करने को मजबर बनार बची हुई आय ब्याज के माध्यम से लू ली जाती है. बैंक के सामने उनके नाम चस्पां कर दिये जाते हैं. किसानों से जबरन कर्ज वसूली की जाती है. फसल बीमा और दूसरी योजनाओं में भी किसानों को लूम्पनियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. इस लूट की व्यवस्था का ही पररणाम है कि देश में केवल ए प्रतिश धनपतियों के पास देकी आधी से ज्यादा संपत्ति ठ्ठी हुई है.

यह स्थिति हम किसानों का भाग्य नही है बल्कि जन विरोधी नीतियों कारिणाम है. दुनिया के बैंकर्स, देशी विेदेशी बहुराष्ट्रीय म्पनियों के दबाव में सरकारों द्वारा अपनाई गई किसान विरोधी नीतियों कारिणाम है. आज सरका जो नीतियां अपना रही है वह और भी खरना हैं. सरकारें किसानों को खेती से बाहर रने और म्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिये कार रही हैं. आधुनिक खेती कर सकेंगे ऐसे केवल 20 प्रतिश कॉर्पोरेट किसानों को खेती सौंपना चाहती है. देश में कॉन्ट्रैक्ट खेतीकॉर्पोरेट खेती का आरंभ हो चुका है. औद्योगिक क्षेत्र, कॉरिडोर, शहरों आदि के लिए किसानों से रोड़ों हेक्टेयर खेती छीनर गैर खेती कार्य के लिए दे रही है. इससे किसानों के सामने विष्य का बड़ा संकट पैदा हो गया है.

देश के किसान इस संकाजु होर मुकाबला रेंगे तो आज भी परिस्थितियांसकती हैं. उसके लिये जाति, र्म, पार्टी से उपर उठर एजु होर संघर्ष रना होगा. देके किसान संगठनों को जुट रने और किसान समस्याओं को सूत्र में बांधर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिये महाराष्ट्र के सेवाग्राम में 8-10 मार्च को राष्ट्रीय किसान समन्य समिति की स्थापना हुई, जिसमें 21 राज्यों के 100 से अधिक संगठन शामिल हैं. राष्ट्रीय किसान समन्य समिति ने दीर्घ संवा के बा 26 सूत्रीय प्रस्ताव सरकाको भेजा है जिके लागू होने से किसान के जीवन में क्रांतिकारी बलाव होगा. किसान कोम्मानपूर्वक जीवन प्राप्त होगा. लेकिन सरकार ने अभी तक को प्रतिसा नहीं दिया है. इसलिये 1 नवम्बर 2017 (बुधवार) से दिल्ली में जंर मंर पर ‍अनिश्चितकालीन आंदोलन संपूर्ण किसान क्रांतिकी शुरुआ होगी. उसके लिये ए नवंबर को अधिक से अधिक संख्या में 9 बजे तक पहुंचना होगा. यह सत्याग्रह तब तक चलेगा जब तक सरकार इस पर अनुकूल निर्णय नहीं करती. इसलिये लंबी तैयारी के साथ आना होगा. साथ में गांव, जिलों में सभायें की जायेंगी. यह केवल किसानों का ही आंदोलन नही बल्कि उस हर संवेनशील व्यक्ति का भी आंदोलन है जो किसानों के लिये बनी लू की व्यवस्था अन्यायपूर्ण मानते हैं और उसे बलना चाहते हैं. वह सभी इसमें आमंत्रि हैं.

किसानों के लिये आर्थिक, सामाजिक आजादी का दूसरा स्वतंत्रता संग्राम
“संपूर्ण किसान क्रांति
कर्ज के जाल से स्थायी मुक्ति और न्यायपूर्ण आय सुनिश्चित करने के लिये 26 सूत्री प्रस्ताव लागू रें.
1 नवम्बर 2017 से अनिश्चितकालीन सत्याग्रह जंर मं, नई दिल्ली.
1 नवम्बर से 10 नवम्बर धरना सत्याग्रह
11 नवंबर से अनिश्चितकालीन उपवास सत्याग्रह
21 नवंबर को देशव्यापी आंदोलन
गांव, जिलों तथा दिल्ली में किसान मोर्चा
22 नवंबर से किसानों को लूटने वाली कॉर्पोरेट कंपनियों का घेराव

किसान भाईयों और बहनों,
आईये, संपूर्ण किसान क्रांति के लिये संघर्ष रें.
किसान के मौलि अधिकार प्राप्त रने के लिये,
किसान की कॉर्पोरेटी लू से मुक्ति के लिये,
गुलामी की व्यवस्था को समाप्त रने के लिये,
किसानों के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृति न्याय के लिये,
किसान और खेती किसानी के संके समग्र और स्थाई समाधान के लिये
संपूर्ण किसान क्रांति
आवाहक
राष्ट्रीय किसान समन्वय सममति
ई मेल : kisansamanvay.india@gmail.com

मोबाईल : 09822994821, 094212194996









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