Tuesday, May 23, 2023

ख़राब मौसम से हुई 90% मौतें और 60% आर्थिक नुक्सान विकसित देशों में

मौसम, आबोहवा और जल स्रोतों में बिगड़ती स्थिति के चलते 1970 और 2021 के बीच दुनिया भर में 11,778 भीषण दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. उनकी वजह से 20,87,229 मौतें हुईं और 43 खरब अमेरिकी डॉलर (आज के 3,562 खरब रु.) का नुक्सान हुआ. ज्यादातर बहु जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणालियों (यानी Multi-hazard Early Warning Systems) के चलते पिछली आधी शताब्दी से हालांकि मृत्यु दर घटती जा रही है, लेकिन आर्थिक नुक्सान में वृद्धि होती जा रही है. इस नुक्सान का अनुमान वैसे इस तरह की 37 प्रतिशत दुर्घटनाओं के लिए ही है, इसलिए वह वास्तविकता से कम हो सकता है. 

दुनिया भर में ख़राब मौसम की वजह से जो मौतें हुईं, उनमें 90 प्रतिशत विकसित देशों में हुईं. यही नहीं, इससे जो आर्थिक नुक्सान हुआ, उसका 60 प्रतिशत भी विकसित देशों में हुआ.

यह आंकड़े वायुमंडलीय विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जल विज्ञान और भूभौतिकी को लेकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से बनाए गए विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने 22 मई को जेनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में चार वर्ष में होने वाले अपने सम्मेलन के अवसर पर जारी किए हैं.

संगठन ने बताया है कि उक्त 51 वर्षों में मौसम, आबोहवा और जल स्रोतों में बिगड़ती स्थिति के चलते एशिया में 3,612 भीषण दुर्घटनाएं हुईं, जिनसे 9,84,263 लोगों की मृत्यु और 14 खरब अमेरिकी डॉलर (आज के 1,160 खरब रु.) का आर्थिक नुक्सान हुआ. एशिया में हुई मौतें दुनिया भर में हुई मौतों का 47 प्रतिशत थीं. और आर्थिक नुक्सान दुनिया के मुकाबले 33 प्रतिशत था. जान और माल के इस नुक्सान की बड़ी वजह चक्रवात और तूफ़ान थे. 

उक्त अवधि के दौरान भारत में मौसम, आबोहवा और जल स्रोतों में बिगड़ती स्थिति के चलते 573 भीषण दुर्घटनाओं में कोई 1,38,377 लोगों की मृत्यु हुई और इस लिहाज से भारत एशिया में द्वितीय स्थान पर रहा. पहला स्थान बांग्लादेश का रहा जहां 281 भीषण दुर्घटनाओं में 5,20,758 लोगों की मौत हो गई. 1,38,366 जानों के नुक्सान के साथ अगला स्थान म्यांमार का रहा, जबकि 740 भीषण दुर्घटनाओं में 88,457 मौतों के साथ चीन चौथे स्थान पर था. 

उत्तर अमेरिका, मध्य अमेरिका और कैरिबियन देशों में अति खराब मौसम की 2,107 घटनाओं के चलते 77,454 मौतें हुईं और 20 खरब अमेरिकी डॉलर (आज के 1,657 खरब रु.) का आर्थिक नुक्सान हुआ. यह दुनिया भर में हुए नुक्सान का 46 प्रतिशत था और इनमें ज्यादातर भूमिका तूफानों की रही. 

इसके अलावा, अफ्रीका में 1,839 विपदाओं के दौरान 7,33,585 लोग मरे और 43 अरब अमेरिकी डॉलर का नुक्सान हुआ. इस उपमहाद्वीप में ज्यादातर जानी और माली नुक्सान सूखा पड़ने की वजह से हुआ.

यूरोप में ऐसी त्रासदियों की संख्या 1,784, दक्षिण-पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में 1,493 और दक्षिण अमेरिका में 943 रही. इन इलाकों में जान और माल के नुक्सान के आंकड़े क्रमश: 1,66,492 और 562 अरब अमेरिकी डॉलर, 66,951 और 185.8 अरब अमेरिकी डॉलर एवं 58,484 और 115.2 अरब अमेरिकी डॉलर रहे. 



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