Collected Works of R.P. Saraf (Volume 1)
You can now open Collected Works of R.P. Saraf (Volume 1) by clicking the following link:
अब आप अंग्रेजी में आर.पी.सराफ की संकलित रचनाएं (खंड 1) को निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करके खोल सकते हैं:
श्री आर.पी. सराफ की संकलित रचनाअों का यह पहला खंड है. लोक शख्सियत होने के कारण उन्होंने अपने जीवनकाल में हालांकि बहुत भाषण दिए और लिखा भी बहुत है, लेकिन फिलहाल हमने उनके ऐसे हालिया लेखों को ही चुना है, जो उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी कोई आठ साल के अरसे में लिखे थे.
22 साल की उम्र में अपना लोक जीवन शुरू करने वाले श्री सराफ अच्छे वक्ता माने जाते थे और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अपनी 10 साल की कार्यावधि में उनके दिए भाषण इसकी गवाही देते हैं. दबे-कुचले लोगों के हिमायती के बतौर 50-55 से अधिक साल पहले उनका सामाजिक नजरिया एक ही वाकया से झलकता है, जो उन्होंने इस खंड के एक लेख में खुद ही बयान किया है. यह जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सदरे-रियासत के चुनाव से संबंधित है, जिसके लिए श्री सराफ ने राज्य के सामंती महाराजा के वशंज डॉ. करन सिंह के मुकाबले सदन के एक अनुसूचित जाति सदस्य म्हाशा नाहर सिंह का नाम प्रस्तावित किया था.
पुराने जानकार और उनके राजनैतिक विरोधी तक भी यह कहेंगे कि वे विधानसभा में तथ्यों और आंकड़ों से लैस होकर आते थे. इस बात की पुष्टि उस जमाने की विधानसभा कार्यवाही से की जा सकती है. विधानसभा में अपने भाषणों के अलावा श्री सराफ उर्दू साप्ताहिक जम्मू संदेश के लिए भी लिखते थे, जिसके वे 1958 से लेकर 1967 तक, जब वह बंद हुआ, संपादक रहे. इन सभी लेखों और भाषणों के रिकॉर्ड ढूंढ़ने होंगे.
लेकिन 1973-2009 के दौरान उनके लेखों का रिकॉर्ड है, जिन्हें फिर से छापने के लिए ऐसे कोई 10 से अधिक खंडों की जरूरत है. मौजूदा खंड का प्रकाशन प्रकृति-मानव केंद्रित दृष्टिकोण के उद्देश्य के लिए मददगार होगा, जिसकी वकालत कॉ. सराफ ने अंतत: अपनी जिंदगी में की.
इस खंड के लेख श्री सराफ के स्थापित प्रकृति-मानव केंद्रित सिद्धांत और उसके मॉडल से सरोकार रखते हैं. नवंबर 2002 से लेकर जून 2009 तक रचे गए ये लेख ज्यादातर नेचर-ह्यूमन सेंट्रिक व्यूपॉइंट नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए थे, जिसके वे संपादक, मुद्रक और प्रकाशक थे. इस सिद्धांत और मॉडल की उत्पत्ति उनके पहले के उन लेखों में पाई जा सकती है, जो श्री सराफ के ही संपादकत्व में निकलती रही पत्रिका इंटरनेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक व्यूपॉइंट में छप चुके थे.
इस तरह दिसंबर 2002 के अंत में उनके मार्गदर्शन में नेचर-ह्यूमन सेंट्रिक पीपुल्स मूवमेंट (एनएचसीपीएम) का गठन हुआ. इस आंदोलन की स्थापना की पृष्ठभूमि यह है कि श्री सराफ ने ऐडम स्मिथ के और मार्क्सवाद के पेश किए समाजशास्त्रों के सिद्धांत और व्यवहार का मूल्यांकन करके यह बताया कि ग्लोबल वार्मिंग अथवा जलवायु परिवर्तन की एक नई चुनौती पैदा हो रही है और उसके साथ चल रही विश्व कॉर्पोरेट पूंजीवादी व्यवस्था प्राकृतिक संसाधनों को फिजूल में उड़ा रही है तथा मौजूदा मानव समाज में अमानुषिकता को बढ़ा रही है. प्रकृति-मानव केंद्रित सिद्धांत सामाजिक विकास का नया सिद्धांत है, जो राष्ट्र-राज्यों की अंतरनिर्भरता की नई पैदा हो रही सामाजिक प्रक्रिया से दुनिया में नमूदार हुआ, जबकि पूंजीवादी अथवा उदारवादी और मार्क्सवादी सिद्धांत राष्ट्र-राज्यों पर आधारित सामाजिक व्यवस्था के जमाने में मौजूद सामाजिक हालात से पैदा हुए थे.
इससे पहले कॉ. सराफ इंटरनेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक व्यूपॉइंट (अप्रैल 1986-दिसंबर 2002), प्रोलेतेरियन व्यूपॉइंट (जनवरी 1983-मार्च 1986) और ए रेवोल्यूशनरी व्यूपॉइंट (जनवरी 1978-दिसंबर 1982) के दौरों से गुजर चुके थे, जिनसे प्रकृति और मानव समाज के बारे में उनकी उस समय की समझ झलकती थी.


0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home