Tuesday, May 23, 2023

दुनिया के वित्तीय ढांचे को बदलने की जरूरत: एंटोनियो गुटेरेस

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का निम्नलिखित बयान बहुत महत्वपूर्ण है और गहरे मायने रखता है. जरा गौर फरमाएं: 

गुटेरेस ने कहा कि आज दुनिया के वित्तीय ढांचे को बदलने की जरूरत है, क्योंकि यह ढांचा गला-सड़ा, पुराना पड़ चुका और अन्यायपूर्ण है. उनके अनुसार, दुनिया की आर्थिक एवं वित्तीय प्रणाली व्यवस्थागत और अन्यायपूर्ण तरीके से अमीर देशों के पक्ष में झुकी हुई है, जिससे विकासशील जगत में स्वाभाविक तौर पर भारी निराशा उपज रही है. यह उद्गार उन्होंने जी-7 शिखर सम्मलेन में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रकट किए. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, “जी-7 नेताओं को मेरा संदेश स्पष्ट और सीधा-सादा है: जब हर जगह आर्थिक तस्वीर अनिश्चित-सी है, अमीर देश इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकते कि आधी से ज़्यादा दुनिया - यानी देशों की भारी बहुसंख्या – गहरे वित्तीय संकट का सामना कर रही है.”

उन्होंने कहा कि "दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनाई गई ब्रेटन वुड्स वित्तीय प्रणाली कोविड-19 महामारी और यूक्रेन में रूसी आक्रमण जैसी स्थितियों में वैश्विक सुरक्षा कवच प्रदान करने की अपनी मूल ज़िम्मेदारी पूरा करने में नाकाम रही है.” उनके अनुसार, ऐसे में "ब्रेटन वुड्स प्रणाली को दुरुस्त करने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करने का वक्त आ गया है. यह आज की दुनिया की हकीकतों के मुताबिक शक्ति के पुनःवितरण का सवाल है.”

ब्रेटन वुड्स प्रणाली 1944 में विश्व शक्तियों के बीच हस्ताक्षरित इसी नाम की संधि से अस्तित्व में आई थी, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की स्थापना की गई थी, और इन संस्थानों में निर्णय निर्धारण की प्रक्रिया पश्चिम की औद्योगिक ताकतों के नियंत्रण में थी. 

गुटेरेस ने कहा कि "इस बहुध्रुवीय दुनिया में, भू-राजनैतिक मतभेद जैसे-जैसे बढ़ रहे हैं, कोई भी देश, या देशों का समूह इस स्थिति में मूकदर्शक नहीं बना रह सकता, जब अरबों लोग, भोजन, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रोज़गार के लिए संघर्ष कर रहे हैं."



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