Wednesday, May 31, 2023

आधुनिकता के आवरण में लिपटी बेगार प्रथा

आश्चर्य है, आज की दुनिया में भी ऐसी प्रथा चल रही है जो सामंती युग में यानी राजा-महाराजाओं के ज़माने में और फिर उपनिवेशी काल में आम हुआ करती थी. हम बात कर रहे हैं, बेगार प्रथा की. हां, आज इसका स्वरूप आधुनिकता के आवरण में लिपटा हुआ है. ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि दुनिया में इस प्रथा के मारे लगभग 5 करोड़ लोगों में से करीब आधे कथित 20 सबसे अमीर देशों में हैं. यानी अब आधुनिक गुलामी भी कॉर्पोरेट पूंजीवादी व्यवस्था का ही अंग बन गई है.

आधुनिक गुलामी पर ध्यान केंद्रित करने वाले और ऑस्ट्रेलिया से चल रहे मानवाधिकार संगठन वॉक फ्री फाउंडेशन ने कुछ दिन पहले जारी अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि इन कथित अमीर देशों में आधुनिक गुलामी को बढ़ावा दिया जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जी-20 समूह देशों के छह सदस्यों में आधुनिक गुलामी की जिंदगी जी रहे सबसे ज्यादा लोग हैं. वे या तो जबरी मजदूरी का शिकार हैं या उनकी शादी जबरन कराई जाती है. ऐसे देशों में सर्वोच्च स्थान भारत का है, जहां 1.1 करोड़ ऐसे लोग हैं. इसके बाद चीन (58 लाख), रूस (19 लाख), इंडोनेशिया (18 लाख), तुर्की (13 लाख) और अमेरिका (11 लाख) आते हैं. 

रिपोर्ट बताती है कि "आधुनिक गुलामी के सबसे कम प्रचलन वाले ज्यादातर देश – स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, जर्मनी, नीदरलैंड, स्वीडन, डेनमार्क, बेल्जियम, आयरलैंड, जापान और फिनलैंड - भी जी-20 समूह के सदस्य हैं...मगर इन देशों में आर्थिक विकास, लैंगिक समानता, समाज कल्याण, और राजनैतिक स्थिरता के साथ-साथ मजबूत न्याय प्रणाली के उच्च स्तर के बावजूद हजारों लोगों को जबरी मजदूरी या विवाह के लिए बाध्य किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र संघ एजेंसियों अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और अंतरराष्ट्रीय प्रवास संगठन के साथ-साथ वॉक फ्री ने गत वर्ष सितंबर में अनुमान लगाया था कि 2021 के अंत तक 5 करोड़ लोगों को "आधुनिक गुलामी" में रहने के लिए मजबूर किया गया है. इनमें 2.8 करोड़ लोग जबरी मजदूरी का शिकार हैं और 2.2 करोड़ लोग जबरन शादी को झेल रहे हैं. यानी 2016 के अंत से लेकर केवल पांच वर्षों में यह एक करोड़ की वृद्धि थी.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के 1930 में हुए जबरन श्रम सम्मेलन के अनुसार, जबरी मजदूरी या अनिवार्य श्रम में वे सभी काम या सेवाएं आती हैं जो किसी व्यक्ति से दंड की धमकी देकर ली जाती हैं और जिन्हें करने के लिए उस व्यक्ति ने स्वेच्छा न जताई हो.

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