रेलवे सुरक्षा के विशेष कोष का दुरुपयोग
रेखाचित्र साभार: https://www.thequint.com/
हाल ही में ओडिशा में रेलगाड़ियों के हुए भयानक हादसे के बाद एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. बताया जा रहा है, रेलवे से संबंधित कैग की दिसंबर 2022 की रिपोर्ट ने यह भंडाफोड़ किया है कि 6 साल पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने रेलवे सुरक्षा में सुधार के लिए जो एक विशेष कोष बनाया था, उसका दुरुपयोग किया गया है. यह दावा कोलकाता और नई दिल्ली से प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक द टेलीग्राफ ने अपने कल के संस्करण में किया है.
अख़बार ने कैग रिपोर्ट के आधार पर लिखा है कि राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष नामक इस निधि के पैसे से सरकार ने न सिर्फ फुट मसाजर, क्रॉकरी, फर्नीचर, सर्दियों के जैकेट, बिजली का सामान और कंप्यूटर खरीदे बल्कि उसे स्वचालित सीढ़ियां खरीदने, उद्यान विकसित करने, शौचालय बनाने, वेतन और बोनस का भुगतान करने और झंडा लगाने के लिए भी खर्च किया. हां, जिस बात के लिए यह कोष बना था, वहां इसका इस्तेमाल नहीं हुआ.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रत्येक जोनल रेलवे के दो चयनित मंडलों में वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक के 48 माह की अवधि से संबंधित चार चुनिंदा महीनों (दिसंबर 2017, मार्च 2019, सितंबर 2019 और जनवरी 2021) में 11,464 वाउचरों के आकस्मिक लेखा परीक्षण से पता चला कि सुरक्षा की खातिर बनाए गए कोष से 48.21 करोड़ रु. का गलत खर्च दिखाया गया है.
जाहिर है, सुरक्षा के लिए निर्धारित पैसे का इस्तेमाल दूसरी मदों में करने की कीमत लोगों की जानें जाने में ही निकलती है. कॉर्पोरेट कंपनियों के पैसे से चलने वाली पार्टियों की सरकारों का सारा जोर लोगों की सुरक्षा पर नहीं, बल्कि चमक-दमक वाली आधुनिकता परियोजनाओं पर होने से ऐसा होगा ही. इसकी ताजा मिसाल पिछले हफ्ते ओडिशा के बालासोर में दो यात्री गाड़ियों और एक मालगाड़ी के बीच हुई अति भयानक भिड़ंत है, जिसमें करीब 300 लोगों की मौत हो गई थी और 1,000 से अधिक घायल हुए थे.

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