Tuesday, June 13, 2023

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: चक्रवाती तूफान बिपरजॉय और कनाडा के जंगलों में आग

जलवायु परिवर्तन किस कदर तेजी से दुनिया को प्रभावित कर रहा है, आज के सर्वाधिक चर्चित दो घटनाक्रम इसी ओर संकेत करते हैं. 

इनमें एक तो पूर्व-मध्य अरब सागर में बना प्रचंड चक्रवाती तूफान बिपरजॉय है, जिससे होने वाली भारी बारिश आज या कल गुजरात के सात जिलों के अलावा दक्षिण राजस्थान और पाकिस्तान के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत सिंध के तटवर्ती इलाके को भी अपनी लपेट में ले सकती है. इस स्थिति से निबटने के लिए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की है, तो पाकिस्तान में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने "हाइ अलर्ट" जारी किया है. 

दूसरा घटनाक्रम कनाडा के जंगलों में लगी भीषण आग का है, जिसने अमेरिका तक को धुएं से नहलाकर दोनों देशों के करीब 10 करोड़ लोगों के लिए प्रदूषण युक्त हालात पैदा कर दिए हैं. खबर है कि अब यह धुआं यूरोप के ग्रीनलैंड और आइसलैंड होते हुए नॉर्वे तक पहुंच गया है और, वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसकी चपेट में पूरा यूरोप आ सकता है. संभावना है कि इसका प्रभाव सितंबर तक रहे. 

उपरोक्त घटनाक्रमों से दो सबक मिलते हैं. एक तो यह कि इन दोनों घटनाक्रमों में जलवायु परिवर्तन का योगदान है और विशेषज्ञ इस पर अमूमन सहमत हैं. दूसरे, जलवायु परिवर्तन किसी एक देश को प्रभावित नहीं कर रहा. वह एक साथ कई देशों को अपनी लपेट में लेता रहता है. मसलन, चक्रवाती तूफान बिपरजॉय से केवल भारत को ही नहीं, पाकिस्तान को भी जूझना होगा. इसी तरह, कनाडा के जंगलों की आग से उठा धुआं न सिर्फ अमेरिका के पर्यावरण को ख़राब कर रहा है, वह अनेक यूरोपीय देशों की भी बुरी गत बनाने की ओर बढ़ रहा है. 

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन से संबंधित अंतर-सरकारी पैनल (आइपीसीसी) के प्रमुख सलाहकार और भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत चलने वाले भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के मौसम वैज्ञानिक डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोल कहते हैं, "समुद्र की सतह का तापमान इस मौसम में सामान्यता ज्यादा गरम रहता ही है, लेकिन इस समय वह नॉर्मल से 2-3 डिग्री ज्यादा है...तूफ़ान बनने में 26 डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिए, और इस समय समुद्र की सतह का तापमान 30-32 डिग्री सेल्सियस के आसपास है. समुद्र में इस बढ़ती गरमी का जिम्मेदार जलवायु परिवर्तन को माना जा सकता है."

सागर, हिमखंड और समुद्र की सतह को लेकर आइपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 1950 के दशक से लेकर हिंद महासागर की सतह बहुत तेजी से गरम होती जा रही है, और अधिक गरम वातावरण तीव्र उष्णकटिबंधीय तूफानों को अधिक प्रचंड बना देता है. 

उधर, कनाडा के जंगलों की आग को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन गरमी और सूखे सरीखी ऐसी मौसमी स्थितियों को जन्म दे रहा है, जिनसे जंगलों में आग की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. अमेरिका स्थित नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी में वन विज्ञान के प्रोफेसर रॉबर्ट शेलर कहते हैं, "जलवायु परिवर्तन का तर्क ज्यादा वजनदार है. हम देख रहे हैं कि आग की घटनाएं पहले से ज्यादा क्षेत्र को अपनी लपेट में ले रही हैं, और उनकी तीव्रता भी बढ़ रही है." इसका प्रमाण है कि कनाडा में बसंत का मौसम सामान्य से अधिक गरम और शुष्क होने लगा है, जिससे ऐसी भयानक आग की संभावनाएं बन जाती हैं.

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